लेखनी प्रतियोगिता -विदाई
डोली, अर्थी
शादी का मतलब कुछ इस तरह,
सोलह सिंगार रचाकर सारे,
अपने सपने बलिदान किये।
जिया कहां खुद अपने लिए,
सब कुछ अपना भुलाए बैठे हैं।
समझौते सारे खुद से किए,
सुंदर सी वह डोली कहो।
या अरमानों की अर्थी कहो,
उसी उथल-पुथल में बीती जिंदगी
इसे हा कहूं या ना कहूं
रूप बदल दो तुम उसका,
कहां जिया भला खुद के लिए।
डोली भी वही अर्थी भी वही,
प्यार भी वही तिरस्कार भी वही,
पल पल जिऊँ औरों के लिए,
तिल -तिल मरी खुद के लिए।
बता तू उसे डोली कहूंँ,
या कहूं अपनी अंतिम विदाई।
संसार बड़ा निर्मोही बना,
डोली पर सजा अरमानों को लिया,
जीने का मतलब कहांँ गया।
खुशियों की डोली कहांँ सजी,
बस अरमानों की अर्थी चली।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
10.3.2022
Seema Priyadarshini sahay
11-Mar-2022 04:59 PM
बहुत खूबसूरत
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Rakhi mishra
11-Mar-2022 04:39 PM
nice
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Abhinav ji
11-Mar-2022 08:57 AM
Very nice👍
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